इस लेख में गेहूं के बाद ‘बड़ा मुनाफा’ देने वाली फसलों के बारे में बताया गया है। उत्तर भारत में गेहूं की कटाई अप्रैल महीने में होती है इस समय भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप होता है जिस वजह से अधिकांश किसान गेहूं की कटाई के बाद अपने खेतों को मई-जून के महीने में खाली रखते हैं लेकिन आज मैं आप लोगों को बताऊंगा गेहूं की कटाई के बाद कौन सी फैसले उगाई जा सकती हैं जिससे आपके खेत खाली भी न रहे और फसल चक्र भी नियमित रूप से चला रहे।
गेहूं की कटाई के बाद उगाई जाने वाली फसलें
गेहूं की कटाई के बाद जायद की फसलों को उगाया जाता है लेकिन गेहूं की कटाई के बाद गर्मी अधिक होने के कारण जायद की फसलें खराब होने का डर रहता है जिससे किसानों के मन में सवाल उठता रहता है कि मई-जून के महीने में कौन सी फसल उगाई जाये जिससे कम लागत में बेहतर मुनाफा हो सके। आज हम इन्हीं फसलों की खेती के बारे में बात करेंगे।
- उड़द-मूंग की खेती
- टमाटर की खेती
- बैगन की खेती
- गोभी की खेती
- ग्वार की खेती
- भिंडी की खेती
- तोरई की खेती
- पालक और मूली की खेती
- धनिया की खेती
- लौकी की खेती
- कद्दू की खेती
- टिंडे की खेती
1. गेहूं के बाद ‘बड़ा मुनाफा’ देने वाली फसलें: उड़द-मूंग की खेती
गेहूं की कटाई के बाद अधिकांश किसान उड़द-मूंग की खेती करना पसंद करते हैं क्योंकि ये फसलें 60 से 65 दिन में कट जाती हैं और इनमें सिंचाई भी सिर्फ दो-तीन बार करनी पड़ती है। मूंग और उड़द की पैदावार भी 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है साथ ही बाजार में भी इसका भाव अच्छा खासा मिल जाता है। मूंग और उड़द की जड़ों में राइज़ोबियम पाया जाता है जिससे खेत में नाइट्रोजन की कमी पूरी हो जाती है। जिससे खरीफ की फसल में भी फायदा होता है।
मूंग की उन्नत किस्में- पूसा वैशाली, मोहिनी, पंत मूंग-1, पूसा विशाल, मूंग-3 और के-857 मूंग की उन्नत किस्में है।
उड़द की उन्नत किस्में- प्रताप-1, मुकुंदरा, शेखर-2, शेखर-3, सुजाता; बसंतवीर, बरखा और बसंत बहार उड़द की उन्नत किस्में है।
2. गेहूं की कटाई के बाद उगाई जाने वाली फसल: टमाटर की खेती
गेहूं की कटाई के बाद टमाटर के खेत खेती भी एक उचित विकल्प है क्योंकि जो टमाटर की फसल जनवरी-फरवरी में लगाई जाती है वह गर्मी के बढ़ते प्रकोप के साथ-साथ नष्ट हो जाती है। जिससे बरसात के मौसम में टमाटर के उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है। इसीलिए जो टमाटर की फसल गेहूं की कटाई के बाद लगाई जाती है, वह फसल बरसात के मौसम में तैयार होती है और किसान भाइयों को अच्छे दाम दिलाती है।
टमाटर की उन्नत किस्में- दिव्या, अर्का विशेष, पूसा गौरव, अर्का अभिजीत, अर्का रक्षक, अर्का सौरभ, सोनाली और अर्का मेघाली टमाटर की ऐसी किस्में है जो कम लागत में अधिक मुनाफा देती हैं। साथ ही इनके फल का आकार भी सामान्य से बड़ा होता है।
3. बैगन की खेती
गेहूं की कटाई होने के तुरंत बाद बैगन की खेती भी की जा सकती है। बैगन की फसल 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है और किसान दो-तीन महीने तक अच्छी कमाई कर सकते हैं।
बैगन की उन्नत किस्में- बैगन की कई किस्में होती है जिनमें स्वर्ण शक्ति, स्वर्ण श्री, पूसा हाइब्रिड, अर्का नवनीत, पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा पर्पल राउंड और पूसा पर्पल लॉन्ग प्रमुख है।
4. गोभी की खेती
अप्रैल में के महीने में गोभी की खेती भी आपको अच्छा मुनाफा दे सकती है। इसके अंतर्गत आप फूलगोभी और पत्ता गोभी दोनों लगा सकते हैं। लेकिन गर्मी की ऋतु में गोभी की फसल में कीट का प्रकोप अधिक रहता है। जिस वजह से आपको कीटनाशक का छिड़काव समय-समय पर करना होगा। गोभी की फसल भी गेहूं की कटाई के बाद एक अच्छा विकल्प है। गोभी की फसल 45 से 50 दिन में तैयार हो जाती है और किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा कमाने का अवसर भी देती है। गोभी की फसल के बाद खरीफ की फसल की बुवाई भी सही समय पर की जा सकती है।
फूलगोभी की उन्नत किस्में- पुष्पा, हिमरानी, पूसा शुभ्रा, अर्ली कुंवारी और समर किंग गोभी की उन्नत किस्में हैं।
पत्तागोभी की उन्नत किस्में- कोपेनहेगन, श्रीगणेश गोल, हरियाणा, कावेरी, बजरंग, मिड सीजन मार्केट, के-1, लेट लार्ज ड्रम हेड और प्राइड आफ इंडिया पत्ता गोभी की उन्नत किस्में है।
5. ग्वार की खेती
गेंहू की कटाई के के बाद ग्वार की खेती भी आपके लिए एक मुनाफे का सौदा हो सकती है क्योंकि जून में लगाई गई ग्वार की फसल अगस्त में तैयार होती है। और बाज़ार में इसका भाव भी ₹40 प्रति किलो से अधिक मिलता है।
ग्वार की उन्नत किस्में- स्टार-610, शक्ति वर्धक, के-161, गणेश-672, HG-365, HG- 653, HG-2-20,और HG-870 ग्वार की उन्नत किस्में है।
6. तोरई की खेती
तोरई की फसल की बुवाई के लिए अप्रैल में का महीना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि आपके खेत में गेहूं है और गेहूं की कटाई के बाद आप अधिक मुनाफे वाली फसल उगाना चाहते हैं तो आप तोरई की फसल उगा सकते हैं। तोरई की फसल 80 दिन में फल देना शुरू कर देती है। अप्रैल में में उगाई गई तोरई की फसल जुलाई अगस्त में तैयार होती है जो आपको अच्छे दाम दिला सकती है।
तोरई की उन्नत किस्में- पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, काशी दिव्या, कल्याणपुर चिकनी, फुले प्रजातका घीया तोरई और सरपुतिया तोरई की उन्नत किस्में है।
7. पालक और मूली की खेती
गेंहू की कटाई के बाद पालक और मूली भी अच्छा मुनाफा दे सकती है पलक या मूली की फसल 40 से 45 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके बाद आप खरीफ की फसल भी अच्छे से कर सकते हैं। मूली या पालक की फसल एक साथ कटने को हो जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि ये फसलें टुकड़ों में दो या तीन दिन के अंतराल पर लगानी चाहिए।
पालक की उन्नत किस्में- पालक की खेती में अधिक मुनाफा देने वाली किस्मों में आल ग्रीन, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जॉइंट और जोबनेर ग्रीन प्रमुख किस्में है।
मूली की उन्नत किस्में- पूसा देसी, पूसा निशांत, काशी श्वेता, काशी हंस, पूसा रश्मि, पूसा चेतकी, कल्याणपुर और जौनपुरी मूली की उन्नत किस्में हैं।
8. धनिया की खेती
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है वैसे-वैसे धनिया के बीजों का अंकुरण कम हो जाता है जिससे मई से सितंबर तक बाजार में हरे धनिया की कमी आ जाती है। लेकिन जो किसान धनिया के बीजों को उगाने में विशेषज्ञ हैं वे किसान गेहूं की कटाई के बाद धनिया की खेती कर सकते हैं। धनिया की फसल 25 से 35 दिन में बाजार में जाने लायक हो जाती है और एक अच्छा मुनाफा कमा कर देती है।
धनिया की उन्नत किस्में- कुंभराज, आरसीआर-41, आरसीआर-435, आरसीआर-436, पंत हरितमा और जेड-41 धनिया की उन्नत किस्में हैं।
9. लौकी की खेती
गेहूं की कटाई के उपरांत लौकी की खेती भी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह फसल जुलाई-अगस्त में तैयार होती है। इस समय मार्केट में लौकी की कमी चल रही होती है और यह लौकी की फसल मार्केट में नई होती है। जिससे किसान भाइयों को अधिक मुनाफा हो सकता है।
लौकी की उन्नत किस्में- सम्राट, पूसा नवीन, काशी बहार, काशी कुंडल, अर्का गंगा, अर्का श्रेया, अर्का नूतन, काशी गंगा और काशी कीर्ति लौकी की उन्नत किस्में हैं।
10. कद्दू की खेती
गेहूं की कटाई के बाद कद्दू की खेती भी की जा सकती है कद्दू की फसल बुवाई में खर्चा बहुत ही कम होता है। प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होने के कारण कद्दू की डिमांड मार्केट में हमेशा बनी रहती है। इसका इस्तेमाल मिठाइयां बनाने में भी किया जाता है। कद्दू के हरे फल को 70-80 दिन में तोड़ा जा सकता है। अगर हरे फल का मूल्य सही नहीं है तो इसे पकाकर स्टोर कर सकते हैं और जब अच्छे दाम मिले तब बेच दें। कद्दू की पैदावार 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
कद्दू की उन्नत किस्में- काशी उज्जवल, काशी आदित्य, पूसा विश्वास, अर्का सूर्यमुखी, नरेंद्र अमृत और अवली कद्दू की उन्नत किस्में हैं।
11. टिंडे की खेती
टिंडा गेंहू की कटाई के बाद उगाई जाने वाली फसल है .टिंडे की मांग पूरे साल बनी रहती है गेहूं की कटाई के बाद अपने खेत में टिंडे की फसल भी लगा सकते हैं। अगर आपने देसी टिंडा वो दिया है तो आपको और अच्छे दाम मिल सकते हैं। टिंडे की फसल बुवाई के 40 से 50 दिन बाद तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।
टिंडे की उन्नत किस्में- टिंडा लुधियाना, पंजाब टिंडा-1, अर्का टिंडा, स्वाती, अन्नामलाई टिंडा, बीकानेरी ग्रीन और मायको टिंडा टिंडे की उन्नत किस्में है।
FAQs
गेहूं की कटाई के बाद कौन-कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं?
मई-जून में कौन-कौन सी फसलें लगाएं कि अधिक मुनाफा हो?
पालक की फसल तैयार होने में कितना समय लगता है?
कद्दू की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
पत्ता गोभी और फूलगोभी उगाने का सही समय क्या है?
निष्कर्ष
इस लेख में बताया गया है कि किसान भाई अप्रैल-मई में गेहूं की कटाई के बाद कौन सी फसल लगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं। साथ ही इन फसलों की उन्नत किस्में के बारे में भी बताया गया है। आशा करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी किसान भाइयों का मार्गदर्शन करेगी। अगर इस पोस्ट में कोई त्रुटि या कोई सुझाव हो तो कमेंट करके अवश्य बताइएगा।
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